"जब इंसाफ की जगह इस्लामिक तुष्टिकरण और वोटबैंक की पुकार हो...
तो भाई साहब, घर ही नहीं — देश की आत्मा भी लहूलुहान होती है।
नागपुर में जो हुआ, वो सिर्फ़ एक 'गिरफ्तारी' नहीं,
बल्कि तुष्टिकरण की राजनीति और प्रशासनिक ढोंग की खुली किताब है!"

🚨 घटना का सारांश – जोरदार व्यंग्य के साथ

१७ मार्च, नागपुर – जहां शांति के पुजारी और जन्नत के प्रेमी एक बार फिर
पत्थर और आग लेकर सड़कों पर उतर आए।
आगजनी, पथराव, दहशत – और सबके पीछे नाम?
👉 फहीम ख़ान – Minority Democratic Party के शहर अध्यक्ष!

अरे वाह!
शांति का संदेश फैलाने वाले रोज़ा अफ्तार करके पत्थर भी उठा सकते हैं?
या फिर जन्नत के नाम पर देशद्रोह भी हलाल हो जाता है?

💥 बुलडोजर एक्शन – संतानियों का प्रतिशोध या राजनीति का संतुलन?

जिस मकान पर बुलडोजर चला, वो माँ जहर निसा के नाम पर था।
अब भईया, परिवार कह रहा है – मकान हमारा नहीं,
नोटिस नहीं मिला, कोर्ट बंद था
लेकिन कोर्ट से पहले अगर धरती पर दहशत मचाई हो,
तो बुलडोजर स्वर्ग से नहीं, न्याय के द्वार से आता है!

👨‍👩‍👧 परिवार का दर्द या सियासी स्क्रिप्ट?

पत्नी अलीशाह का दर्द:
"हम बच्चे लेकर कहां जाएं?"
हम पूछते हैं – तब ये बच्चे कहां थे,
जब पत्थरबाज़ी हो रही थी?
जब देश की छाती पर आग लगाई जा रही थी?

बापू जी बोले –
"मेरा बेटा सेवा करता है…"
कौन सी सेवा? – ईंटों की बारिश?
या UAPA का फूलदान सजाना?

📹 वीडियो सबूत – selective याददाश्त वालों के लिए

पुलिस कहती है –
वीडियो फुटेज, चश्मदीद, UAPA, देशद्रोह – सब लगा है।
पर परिवार को सिर्फ़ अपना वीडियो याद है,
बाकी सब edited लगते हैं

🔍 बजरंग दल वाला मोड़ – मूर्खतापूर्ण तुलना पर चुटकी

समर्थक बोले –
"अगर कुरान की चादर जलाने पर ऐक्शन होता…"
भाईसाहब, संविधान का रास्ता थाने से जाता है,
ना कि पेट्रोल पंप और पत्थर डिपो से!

🧨 सवाल बहुत हैं – जवाब सिर्फ़ एक: राष्ट्र सर्वोपरि!

बुलडोजर पक्षपाती है या न्यायप्रिय?
फहीम ख़ान 'आंदोलनकारी' हैं या 'देशविरोधी'?
क्यों हर बार मुस्लिम नाम पर शोर मचता है,
लेकिन हिंदू का खून बहाना सामान्य हो जाता है?

🚩 गुरुजी का तांडव – सटीक और तीखा विश्लेषण

"ये सिर्फ़ एक केस नहीं,
ये भारत की न्याय व्यवस्था पर कसी हुई मुसलमानी पकड़ का आईना है।
जब 'वोटबैंक' संविधान से ऊपर हो जाए,
तब 'बुलडोजर' न्याय नहीं – जनता का विकराल रोष बन जाता है!"

🚨 निष्कर्ष – सोचो भारतवासियों, सोचो!

👉 ये मामला कानून बनाम राजनीति नहीं,
👉 ये राष्ट्र बनाम विभाजनकारी सोच है।

❗ और अंत में सवाल नहीं – बस एक संकल्प:

"जो भारत से प्रेम करता है, उसे न्याय से नहीं – राष्ट्रधर्म से डरना चाहिए!"

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