उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने धार्मिक स्थलों पर लाउडस्पीकरों को लेकर कड़ा रुख अपनाते हुए "स्थायी समाधान" की बात कही है। उन्होंने यह भी निर्देश दिया है कि लाउडस्पीकरों की आवाज़ तय मानकों के भीतर ही होनी चाहिए और किसी को भी इससे सार्वजनिक असुविधा नहीं होनी चाहिए।
🔹 मुख्य बिंदु:
✔️ स्थायी समाधान की मांग: योगी आदित्यनाथ ने अधिकारियों से धार्मिक स्थलों पर लाउडस्पीकरों के इस्तेमाल को लेकर स्थायी समाधाननिकालने का निर्देश दिया।
✔️ ध्वनि प्रदूषण नियंत्रण: लाउडस्पीकरों की आवाज़ को नियंत्रित करने के लिए नियमों को सख्ती से लागू करने पर ज़ोर।
✔️ परीक्षा के समय सख्ती: काशी समेत विभिन्न शहरों में परीक्षाओं के दौरान लाउडस्पीकरों के इस्तेमाल पर पुलिस ने विशेष अभियान शुरू किया।
✔️ कानून के तहत कार्रवाई: यदि किसी भी धार्मिक स्थल पर ध्वनि प्रदूषण के नियमों का उल्लंघन होता है, तो प्रशासन सख्त कार्रवाई करेगा।
✔️ गौ-तस्करी पर भी निर्देश: मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को राज्य में गौ-तस्करी को पूरी तरह रोकने के भी सख्त निर्देश दिए हैं।
🛑 योगी सरकार का स्पष्ट संदेश
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि धार्मिक स्थलों पर लाउडस्पीकरों का इस्तेमाल जनता की सहमति और कानूनी दिशानिर्देशों के अनुरूप ही होना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि धर्मस्थलों से लाउडस्पीकरों को हटाने का उद्देश्य केवल ध्वनि प्रदूषण को नियंत्रित करना है, किसी विशेष समुदाय को निशाना बनाना नहीं।
📌 पिछले आदेश और मौजूदा स्थिति
➡️ 2022 में जारी आदेश:
➡️ अभी की स्थिति:
⚖️ लाउडस्पीकर विवाद और कानूनी पहलू
भारत में ध्वनि प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 और ध्वनि प्रदूषण (नियंत्रण एवं विनियमन) नियम 2000लागू हैं। इनके तहत:
✔️ रात 10 बजे से सुबह 6 बजे तक धार्मिक स्थलों, सार्वजनिक स्थानों और रिहायशी इलाकों में लाउडस्पीकर बजाने पर प्रतिबंध है।
✔️ ध्वनि स्तर तय सीमा (55-75 डेसीबल) से ज्यादा नहीं होना चाहिए।
✔️ ध्वनि प्रदूषण बढ़ाने पर जुर्माना और कानूनी कार्रवाई का प्रावधान है।
🏛️ राजनीतिक और सामाजिक प्रतिक्रियाएं
➡️ बीजेपी और समर्थकों का पक्ष:
बीजेपी सरकार इसे "शासन-व्यवस्था में सुधार" और "सभी धर्मों के लिए समान कानून" लागू करने का कदम बता रही है।
➡️ विपक्ष का रुख:
समाजवादी पार्टी और कांग्रेस ने इस फैसले को "राजनीतिक मुद्दा बनाने की कोशिश" करार दिया है और कहा कि सरकार को अन्य जरूरी मुद्दों पर ध्यान देना चाहिए।
➡️ धार्मिक संगठनों की प्रतिक्रिया:
कुछ धार्मिक संगठनों ने इस फैसले का समर्थन किया है, जबकि कुछ ने इसे "धार्मिक स्वतंत्रता पर हमला" बताया है।
📊 जनता की राय क्या कहती है?
✅ समर्थन में:
❌ विरोध में:
📢 क्या हो सकता है आगे?
🔸 आने वाले समय में लाउडस्पीकरों के लिए सख्त नियम लागू किए जा सकते हैं।
🔸 धार्मिक स्थलों को ध्वनि प्रदूषण नियमों के पालन का प्रमाण पत्र लेना पड़ सकता है।
🔸 सार्वजनिक स्थानों पर अनधिकृत लाउडस्पीकरों पर पूरी तरह रोक लग सकती है।
🔎 निष्कर्ष
योगी आदित्यनाथ सरकार धार्मिक स्थलों पर लाउडस्पीकरों के इस्तेमाल को लेकर सख्त रवैया अपना रही है। इसके पीछे उद्देश्य ध्वनि प्रदूषण को नियंत्रित करना, कानून व्यवस्था बनाए रखना और आम जनता की सहूलियत सुनिश्चित करना है।
हालांकि, इस कदम को लेकर राजनीतिक और धार्मिक संगठनों में मतभेद है। सरकार के अगले कदमों पर सबकी नजरें टिकी हुई हैं।
➡️ आप इस फैसले के बारे में क्या सोचते हैं? क्या धार्मिक स्थलों पर लाउडस्पीकरों को नियंत्रित किया जाना चाहिए? अपने विचार कमेंट में साझा करें! 🚀
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